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दिवाली में अगर आपको नहीं रहना है प्रदूषण भरे माहौल में, तो नासिक जाकर बिताएं अपनी छुट्टियां

Nasik

दिवाली ऐसे त्योहारों में से एक है जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। मगर दिवाली के दौरान हमारे आस-पास का माहौल काफी खतरनाक हो जाता है। पटाखों से निकलने वाला धुंआ ऐसा वातावरण बना देते हैं, जिसमें सांस लेना दूभर हो जाता है। सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की परेशानी ऐसे माहौल में और गंभीर हो सकती है, तो ऐसे में बेहतर है कि आप कहीं शहर से कहीं बाहर निकल जाए। अब कहां जाएं ये भी एक बड़ा सवाल है, तो आप नासिक का प्लान बना सकते हैं।

नासिक में घूमने वाली जगहें

सुला वाइनयार्ड

ट्रेकिंग, हाइकिंग को एक्सप्लोर करके अगर आप बोर हो चुके हैं, तो इस बार कुछ अलग ट्राई कर सकते हैं। नासिक आकर आप वाइनयार्ड देख सकते हैं, जो वाकई एक शानदार एक्सपीरियंस होगा। नासिक के सुला वाइनयार्ड में आपको वेस्‍टर्न ट्रैवल कलचर की झलक देखने को मिलेगी। मुंबई से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नासिक शहर को खासतौर से इसके वाइनयार्ड के लिए जाना जाता है। यहीं एक छोटा सा गांव है डिंडोरी। पहाड़ों और छोटी सी झील से घिरा यह गांव बेहद खूबसूरत दिखता है। इस गांव में देश का सबसे मशहूर सुला वाइनयार्ड मौजूद है। यहां रोजाना 8 से 9 हजार टन के अंगूरों को क्रश करके वाइन तैयार की जाती है। जिसकी खपत भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी होती है।

अंजनेरी हनुमान मंदिर

भगवान हनुमान का जन्म स्थान भी नासिक में स्थित है। जो इस शहर से महज 28 किमी की दूरी पर है। अंजनेरी हनुमान मंदिर में हनुमान जी की माता अंजनी की बेहद सुंदर प्रतिमा स्थित है। यहां एक अलग ही आनंद और सुकून का एहसास होता है। अगर आप भी यहां आते हैं तो इसे इसे मिस न करें।

राम कुंड

एडवेंचर और नेचर लवर के साथ ही अगर आप थोड़े धार्मिक हैं, तो नासिक में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जहां आकर आप आध्यात्मिक और मानसिक शांति पा सकते हैं। नासिक में गोदावरी नदी पर स्थित है राम कुंड। माना जाता है कि भगवान राम ने यहांं स्नान किया था। ये भी मान्यता है कि इस कुंड में मृत व्यक्ति की अस्थियां प्रवाहित करने से उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

त्र्यंबकेश्वर

नासिक शहर से 35 किलोमीटर दूर गौतमी नदी के तट पर बसा है त्र्यंबकेश्वर। शिवजी के बारह ज्योतिर्लिगों में श्री त्र्यंबकेश्वर का दसवां स्थान है। मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, जिन्‍हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता हैं। अगर आप नासिक आते हैं तो यहां आना न मिस करें।

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