गांधी परिवार ने किया छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक नगरी सिरपुर का भ्रमण… विश्व प्रसिद्ध है यहां का लक्ष्मण मंदिर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ सांसद राहुल गांधी, श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को महासमुंद जिले के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थल सिरपुर का भ्रमण किया। सांसद श्री राहुल गांधी एवं श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण देवालय मंदिर का दर्शन किया। उन्होंने सुरंग टीला और तिवरदेव बिहार का भी भ्रमण किया।
सिरपुर महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थान का प्राचीन नाम श्रीपुर है। यह एक विशाल नगर हुआ करता था। सिरपुर पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। सिरपुर में सांस्कृतिक एंव वास्तुकौशल की कला का अनुपम संग्रह हैं। सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर विश्व प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। उत्खनन में यहाँ पर प्राचीन बौद्ध मठ भी पाये गये हैं। यह स्थल वैष्णव, शैव, जैन और बौद्ध संस्कृतियों का केन्द्र रहा है।
सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर
रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर लक्ष्मण मंदिर स्थित है। महानदी के तट पर स्थित इसकी विशेषता है कि इस मंदिर में ईंटों पर नक्काशी करके कलाकृतियां निर्मित की गई हैं, जो अत्यंत सुन्दर हैं। क्योंकि अक्सर पत्थर पर ही ऐसी सुन्दर नक्काशी की जाती है। गर्भगृह, अंतराल और मंडप, मंदिर की संरचना के मुख्य अंग हैं। साथ ही मंदिर का तोरण भी उसकी प्रमुख विशेषता है। मंदिर के तोरण के ऊपर शेषशैय्या पर लेटे भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है। इस प्रतिमा की नाभि से ब्रह्मा जी के उद्भव को दिखाया गया है और साथ ही भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी विराजमान हैं। इसके साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों को चित्रित किया गया है। हालांकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। लेकिन यहां गर्भगृह में लक्ष्मण जी की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा 5 फन वाले शेषनाग पर आसीन है।
गंधेश्वर महादेव
सिरपुर में ऐसा ही एक शिव मंदिर है जिसे गंधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इतिहास के जानकारों की मानें तो गंधेश्वर मंदिर में मौजूद का शिविलंग लगभग 2 हजार साल पुराना है और इसकी सबसे खास बात ये है कि शिवलिंग से तुलसी के पत्तों सी खुशबू आती है. वहीं एक तथ्य ये भी है कि गंधेश्वर शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों वाले पत्थर से बना हुआ है। पुरातत्व विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां एक समय विशाल मंदिर हुआ करता था, जिसका निर्माण पहली शताब्दी के शुरू में सरभपुरिया राजाओं द्वारा किया गया था. 12वीं सदी में आए विनाशकारी भूकंप और बाद में चित्रोत्पला महानदी की बाढ़ में यह विशाल मंदिर तबाह हो गया. इतनी तबाही के बाद भी यह शिवलिंग सुरक्षित बच गया था. इस स्थान पर पुरातत्व विभाग पिछले कई सालों से खुदाई करा रहा है. यहां अब तक कई छोटे-बड़े शिवलिंग निकल चुके हैं।
तिवरदेव विहार
सिरपुर के तिवरदेव विहार की खुदाई में जो चित्रण सामने आए हैं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ में प्राचीन समय से लोगों के मनोरंजन के लिए जानवरों की लड़ाई की प्रथा थी. छत्तीसगढ़ में 1500 साल पहले से ही जानवरों की लड़ाई के प्रमाण खुदाई में मिले हैं. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के सिरपुर की खुदाई 2008 के आसपास शुरू हुई थी. छत्तीसगढ़ की जमीन पर ऐसा ही बहुत सा इतिहास दबा हुआ है. पूरा छत्तीसगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से अपने अंदर अनगिनत रहस्य और रोमांच समेटे हुए है. आवश्यकता है कि योजनाबद्ध तरीके से छत्तीसगढ़ के बड़े पुरातात्विक स्थलों में वैज्ञानिक ढंग से खुदाई हो. राज्य बनने के कुछ सालों तक इसके लिए शासन स्तर पर काफी प्रयास किया गया. इसमें सफलता भी मिली.