कोपरा जलाशय बनेगा अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड हब
छत्तीसगढ़ का कोपरा जलाशय अब अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड हब के रूप में विकसित होने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा चुका है। राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजते हुए इसे संरक्षण की विशेष श्रेणी में शामिल करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह जलाशय बिलासपुर संभाग में स्थित है और दुर्लभ प्रवासी पक्षियों के महत्वपूर्ण आवास के रूप में जाना जाता है।
कोपरा जलाशय में हर वर्ष सर्दियों के मौसम में विश्व के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। इसमें मुख्य रूप से 2.3 और 5 श्रेणी के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें से कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर मानी जाती हैं। इनमें रिवर टर्न, कॉमन स्नाइप, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट, कॉमन पेंटेड स्नाइप, ग्रेटर-कुडलू लीफबर्ड, इंडियन रोलर जैसी प्रजातियाँ प्रमुख हैं। यह क्षेत्र पक्षी पर्यवेक्षण और जैव विविधता अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

दुर्लभ पक्षियों का नया बसेरा छत्तीसगढ़ में
वेटलैंड प्राधिकरण के अनुसार यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो कोपरा जलाशय न केवल संरक्षित क्षेत्र बनेगा, बल्कि पर्यावरण पर्यटन, पक्षी संरक्षण और शोध को बढ़ावा देने वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का इको-हब भी तैयार होगा। इससे स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और क्षेत्र में पर्यावरण जागरूकता को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस बीच छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता मंडल द्वारा पूरे प्रदेश में ‘वेटलैंड मित्र अभियान’ भी शुरू किया गया है। इस अभियान में अब तक 500 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं, जिसमें सर्वाधिक भागीदारी कोरबा जिले से हुई है। अभियान का उद्देश्य स्थानीय नागरिकों को वेटलैंड संरक्षण के साथ जोड़ना और जलाशयों में रहने वाले पक्षियों व जीवों की रक्षा के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना है।
अभियान के तहत युवाओं, स्कूलों, पशुपालकों और स्थानीय निवासियों को वेटलैंड पारिस्थितिकी, संरक्षण विधियों और जैव विविधता के महत्व के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह पहल सफल होती है तो कोपरा जलाशय मध्य भारत में पक्षी संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय पारिस्थितिकी अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बन सकता है।