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अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से : पिज्जा-बर्गर खाना है मना - Travel News
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 / India  / अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से : पिज्जा-बर्गर खाना है मना
Amarnath Shrine
22 Jun

अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से : पिज्जा-बर्गर खाना है मना

1 जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है। 62 दिनों तक चलने वाली इस धार्मिक यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होने जा रहे हैं। अगर आप भी अमरनाथ की यात्रा पर निकलने का प्लान बना रहे हैं तो आपको श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की एडवाइजरी को ध्यान में रख लेना चाहिए.

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पराठा, बर्गर और पिज्जा जैसे कई फूड्स नहीं खा सकते हैं. जिन फूड्स पर बैन लगाया गया है उनकी लिस्ट भी जारी कर दी गई है.
यात्रा पर बैन फूड्स की लिस्ट
यात्रा पर जिन फूड्स पर बैन लगाया गया है उनमें गुलाब जामुन, बर्गर, पिज्जा, पराठा, कोल्ड ड्रिंक, जलेबी, खोया बर्फी, रसगुल्ला और तले पापड़ शामिल हैं। स्नैक्स में चिप्स, तली चीजें जैसे समोसा या डीप फ्राई आइटम्स यात्री नहीं खा पाएंगे. नॉनवेज, तंबाकू, गुटखा, पान मसाला और सिगरेट पर भी पूरी तरह बैन है.

अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से : पिज्जा-बर्गर खाना है मना


अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से : पिज्जा-बर्गर खाना है मना

अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग के समीप बालटाल से। यानी कि पहलगाम या बालटाल तक किसी भी सवारी से पहुँचें, यहाँ से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है।

बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है लेकिन यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है, और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। इस मार्ग से जाने वाले लोग अपने जोखिम पर यात्रा करते है।


पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर है। यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस उपलब्ध रहती है। पहलगाम में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा यहीं से आरंभ होती है।