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हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने हो रही है ये तैयारी… - Travel News
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Himachal
24 Apr

हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने हो रही है ये तैयारी…

हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने हो रही है ये तैयारी…जानें क्यों प्रसिद्ध है ये प्रदेश


हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पर्यटन क्षेत्र को तवज्जो दी जा रही है। राज्य सरकार देशी-विदेशी पर्यटकों को हिमाचल आने के लिए आकर्षित करने की कवायद में जुटी है। इसके लिए राज्य में धार्मिक, स्वास्थ्य और धरोहर पर्यटन को व्यापक प्रोत्साहन किया जा रहा है। कांगड़ा जिला प्राचीन मंदिरों, बौद्ध मठों, गिरिजाघरों, जलाशयों, विश्व प्रसिद्ध बिलिंग पैराग्लाइडिंग स्थल, हिमाच्छदित धौलाधार पर्वतमालाओं और झीलों के लिए सुप्रसिद्ध हैं। इन्हें पर्यटन की दृष्टि से और विकसित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम के माध्यम से कांगड़ा जिले को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा।

हिमाचल


क्यों प्रसिद्ध है ये प्रदेश

काँगड़ा किला

कांगड़ा किले का निर्माण कांगड़ा राज्य (कटोच वंश) के राजपूत परिवार ने करवाया था, जिन्होंने खुद को प्राचीन त्रिगत साम्राज्य, जिसका उल्लेख महाभारत, पुराण में किया गया है के वंशज होने का प्रमाण दिया था। ये हिमाचल में मौजूद किलो में सबसे विशाल और भारत में पाये जाने किलो में सबसे पुराना किला है।

करेरी झील

करेरी झील धौलाधार में एक ट्रेकिंग गंतव्य होने के लिए सबसे प्रसिद्ध है। झील अक्सर  दिसंबर से मार्च-अप्रैल तक वर्फ से जमी  हुई रहती है।  झील की एक तरफ पहाड़ी पर भगवान शिव और शक्ति को समर्पित एक मंदिर है। केरेरी झील (जिसे कुमारवा झील के नाम से भी जाना जाता है) धौलाधर सीमा के दक्षिण में 9 कि.मी. उत्तर-पश्चिम धर्मशाला में  समुद्र तल से 2934 मीटर की ऊंचाई पर एक उथले, ताजे पानी की झील है। झील के आस पास का प्राकृतिक परिदृश्य बहुत ही सुन्दर एवं मनमोहक है।

पालमपुर चाय बागान


पालमपुर हिमाचल प्रदेश की काँगड़ा घाटी में एक प्राकृतिक रूप से समृद्ध हिल स्टेशन और नगरपालिका है, जो कि चाय बागानों और देवदार के जंगलों से घिरा है। पालमपुर उत्तर-पश्चिम भारत की चाय की राजधानी है, लेकिन चाय ही एक ऐसा पहलू नहीं है जो पालमपुर को एक विशेष रुचि स्थल बनाता है। पहाड़ों की निकटता और पानी की बहुतायत ने इसे हल्के जलवायु के साथ संपन्न किया है। शहर ने अपना नाम स्थानीय शब्द पलुम से प्राप्त किया है, जिसका अर्थ है बहुत पानी। पहाड़ी से पालमपुर के मैदानों तक बहने वाली कई नदियों हैं, हरियाली और पानी का संयोजन पालमपुर को एक विशिष्ट रूप देता है, पालमपुर मैदानों और पहाडिय़ों के संगम पर है और इसलिए बहुत सुन्दर दिखता है। एक तरफ मैदानी और दूसरी तरफ धौलाधार की  हसीन पहाडिय़ां हैं, जो वर्ष केअधिकांश समय के लिए बर्फ से ढके हुए रहती है।