Top
हेमकुंड साहिब - 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए - Travel News
fade
7633
post-template-default,single,single-post,postid-7633,single-format-standard,mkd-core-1.3,mkdf-social-login-1.4,mkdf-tours-1.4.3,voyage-ver-2.1,mkdf-smooth-scroll,mkdf-smooth-page-transitions,mkdf-ajax,mkdf-grid-1300,mkdf-blog-installed,mkdf-breadcrumbs-area-enabled,mkdf-header-standard,mkdf-sticky-header-on-scroll-up,mkdf-default-mobile-header,mkdf-sticky-up-mobile-header,mkdf-menu-item-first-level-bg-color,mkdf-dropdown-animate-height,mkdf-header-style-on-scroll,mkdf-medium-title-text,wpb-js-composer js-comp-ver-6.8.0,vc_responsive
 / India  / हेमकुंड साहिब – 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए
Hemkund Sahib
16 May

हेमकुंड साहिब – 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए

हेमकुंड साहिब के कपाट 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे… अभी 8 फीट जमी है बर्फ… इन श्रद्धालुओं पर लगेगी रोक
केदारनाथ-बदरीनाथ, यमुनोत्री समेत उत्तराखंड चार धाम यात्रा के बाद अब हेमकुंड साहिब के कपाट खोलने की तैयारियां पूरी जोरों पर हैं। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा में अभी करीब 8 फीट बर्फ जमी हुई है। यहां लक्ष्मण मंदिर व हेमकुंड सरोवर भी पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ है। हेमकुंड साहिब के कपाट 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। हेमकुंड साहिब के आसपास जमी बर्फ को देखते प्रशासन सख्ती करने जा रहा है। यात्रा पर बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के यात्रा करने पर रोक लगा दी गई है।

हेमकुंड साहिब

17 मई को ऋषिकेश से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना होगा। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेन्द्र जीत सिंह बिन्द्रा ने बताया कि सेना और सेवादारों ने बर्फ काट कर गुरुद्वारे तक रास्ता बना दिया है। लेकिन क्षेत्र में अत्यधिक बर्फ होने के कारण फिलहाल सीमित संख्या में ही यात्री जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि, जिला प्रशासन के निर्देश के अनुसार अभी कुछ समय तक हेमकुंड आने वाले यात्रियों की संख्या सीमित रखी जाएगी। बिंद्रा ने बताया कि, प्रशासन ने निर्देश के अनुसार अगले आदेश तक बीमार, बच्चों और बुजुर्गों को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।

हेमकुंड साहिब के बारे में जानकारी

यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा स्थापित एक सिख मंदिर है जो उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। वैसे यह मंदिर वैष्णवों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु की तपस्या स्थल के रूप में भी माना जाता है।

यहाँ तक पहुंचने के लिए यात्रियों को गोविंदघाट से यात्रा करनी होती है। यहाँ से यात्री एक पैदल मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। मार्ग पर यात्रियों को घने जंगल, पहाड़ी मार्ग, और धार्मिक स्थलों का आनंद लेने का अवसर मिलता है। इसमें कुंद के आसपास बसे लोगों के ग्रेट यात्रा में एक शामिल होने का महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर भगवान गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है। यहाँ की वातावरण प्रशांतिपूर्ण है और यहाँ के सुरम्य परिदृश्यों ने यहाँ की प्रसिद्धि को बढ़ाया है।