जयपुर शहर को हवाई नजरों से देख सकेंगे पर्यटक
जयपुर शहर को हवाई नजरों से देख सकेंगे पर्यटक…शुरू हुआ हेलीकॉप्टर जॉय राइड….
जयपुर शहर के किलों, महलों, पर्यटन स्थलों और वर्ल्ड हेरिटेज परकोटा के हवाई नजारे लेने के लिए पर्यटकों का इंतजार अब खत्म हो गया है। क्योंकि राजस्थान पर्यटन विकास निगम और जयपुर हेलीकॉप्टर्स के बीच एक अनुबंध के साथ शुक्रवार से हेलीकॉप्टर जॉइराइड की शुरुआत हो गई है। टूरिस्ट हेलिकॉप्टर से अब लोग शहर के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट देख सकते हैं। आमेर फोर्ट, नाहरगढ़, जयगढ़, जलमहल सहित अरावली की पहाडिय़ों, जंगलों को दिखाने के लिए पैकेज भी तय हो गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रू कैप्टन समेत हेलीकॉप्टर में कुल 7 लोग सवार हो सकते हैं। पर्यटकों की अधिकतम संख्या 6 रहेगी। दो तरह की स्काई जॉय राइड इसके जरिए करवाई जाएगी। पहला पैकेज 5000 रुपए में 5 मिनट की जॉयराइड का है, दूसरा पैकेज 15000 रुपए का है, जिसमें 15 मिनट तक जयपुर के हवाई नजारे दिखाए जाएंगे।
जयपुर के पर्यटन स्थल
अपने रंग-बिरंगे रत्नों और आभूषणों के लिए प्रसिद्ध, राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने वैभवपूर्ण इतिहास के साथ, सबसे बड़ी पर्यटन नगरी बन गया है। पारंपरिक तथा आधुनिकता का सम्मिश्रण, इस शहर की संस्कृति को अभूतपूर्व बनाता है। पर्यटन के स्वर्णिम त्रिकोण (गोल्डन-ट्राएंगल) का एक कोण, जयपुर है – जिसमें दिल्ली, आगरा और जयपुर शामिल हैं।
सिटी पैलेस
महाराजा जयसिंह द्वितीय ने सिटी पैलेस की संचरनाओं के निर्माण के साथ साथ, इसकी भव्यता को भी बढ़ाया। परकोटे वाले शहर के बीच स्थित, सिटी पैलेस कॉम्प्लैक्स की कल्पना और निर्माण करवाने का श्रेय, जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को जाता है। मुगल व राजपूत शैली का सम्मिश्रण इस महल को अद्वितीय बनाता है। इसमें मुबारक महल, महारानी का महल तथा कई अन्य छोटे महल, चौक और चौबारे हैं।
मुबारक महल में अब महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय बना दिया गया है, जिसमें शाही पोशाकें, अद्भुत पश्मीना शॉल, बनारसी साडिय़ाँ, रेशमी वस्त्र, जयपुर के सांगानेर प्रिंटेड कपड़े और अन्य बहुमूल्य रत्न जडि़त कपड़े रखे हुए हैं। महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम तथा महारानियों के वस्त्रों का संग्रह भी यहाँ देख सकते हैं। महारानी पैलेस में सुसज्जित अस्त्र शस्त्र, कवच, जिऱह-बख्तर आदि रखे हैं। महल की छत सुन्दर पेन्टिंग से सजाई गई है।
जंतर – मंतर
जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाई गई पाँच खगोलीय वेधशालाओं में सबसे विशाल है, जयपुर की यह वेधशाला। इसे जंतर मंतर कहते हैं। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इसमें बनाए गए जटिल यंत्र, समय को मापने, सूर्य की गति व कक्षाओं का निरीक्षण तथा आकाशीय पिंडों के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हैं। पर्यटकों को वेधशाला के सम्बन्ध में बताने के लिए यहाँ विशेषज्ञ मौजूद हैं।