खुडिय़ा बनेगा पर्यटक स्थल…
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने लोरमी विधानसभा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुंगेली जिले के ग्राम खुडिय़ा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने एवं यहां रिसॉर्ट बनाए जाने की घोषणा की।
आपको बता दें कि खुडिय़ा जलाशय का निर्माण तीन प्राकृतिक पहाडिय़ों को जोड़कर किया गया है। इन तीनों पहाडिय़ो के मध्य से होकर मनियरी नदी बहती है।
अंग्रेजी शासन काल में कृषि की संभावनाओं को देखते हुये इन तीन पहाडिय़ों को जोड़कर बांध बनाने की प्रक्रिया 1927 मे शुरू हुयी, जो तीन साल बाद 1930 मे पूरी हुयी। बाद में इसका नाम राजीव गांधी जलाशय कर दिया गया। खुडिय़ा ग्राम मे यह बांध निर्मित होने के कारण यह बांध खुडिय़ा जलाशय के नाम से भी जाना जाता है।
मुंगेली लोरमी एवं ब्लॉक के किसान कृषि के लिए मुख्यत: राजीव गांधी जलाशय पर ही आश्रित है।
कैसे पहुंचें- बिलासपुर रेलवे स्टेशन से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है लोरमी विकासखंड तक सड़क मार्ग से जुड़ा है।सड़क के द्वारा- यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 40 किमी दूर उत्तर में विकासखंड मुख्यालय लोरमी में स्थित है।
खुडिय़ा बनेगा पर्यटक स्थल…तीन प्राकृतिक पहाडिय़ों को जोड़कर बनाया गया है यहां जलाशय
मुंगेली जिले के अन्य पर्यटक स्थल
1. अचानकमार टाइगर रिजर्व
मनोरम, नैसर्गिक, नयनाभिराम सौंदर्य से समृद्ध अचानकमार टाइगर रिजर्व सतपुड़ा के 553.286 वर्ग किमी के एक क्षेत्र पर विशाल पहाडिय़ों के मैकाल रेंज में साल, बांस और सागौन के साथ अन्य वनस्पतियों को समाहित किया हुआ है। अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत की
2007 में इसे बायोस्फीयर घोषित किया गया और 2009 में बाघों की संख्या के लिए अचानकमार अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया। अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के 39 टाइगर रिजर्व में होती है।
यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, उडऩ गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, चिलीदार हिरण, भालू, लकड़बग्घा, सियार, चार सिंग वाले मृग, चिंकारा सहित 50 प्रकार स्तनधारी जीव एवं 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजीतियों के पक्षी देखे जा सकते हैं।
2. शिवघाट
शिवघाट मानियरी नदी के तट पर बसे लोरमी की प्राचीन नागरी पर स्थित है। भगवान शिव का अति प्राचीनतम मानवधाम नगर के उत्तर दिशा और माँ महामाया मंदिर के पश्चिम मे स्थित शिवघाट यहाँ के हजारों लोगों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है। शिव के इस पावन धाम मे लगभग 300 वर्ष पुरानी शिवलिंग की अति प्राचीनतम प्रतिमा विराजमान है।
मैकल पर्वत श्रेणी में स्थित लोरमी के अचानकमार अभ्यारण्य के अंदर स्थित सिहवाल नाम की जगह से एक बड़े से तलाब से निकालने वाली मनियारी नदी के तट के करीब स्वयंभू शिव लिंग के प्रकट होने की वजह से यह घाट भगवान भोलेनाथ के नाम से शिवघाट के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
महाशिवरात्री के मौके पर यहाँ सात दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है। इसमे दूर-दराज से लोग पहुँचकर मड़ई और मेला का भरपूर लुत्फ उठाते हैं। यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 23 किमी दूर उत्तर पश्चिम में विकासखंड मुख्यालय लोरमी में स्थित है।
3. खर्राघाट
मुंगेली खर्राघाट आगर नदी के किनारे महादेव का सिद्ध मंदिर है। यहाँ 1890 में शैव संप्रदाय के सिद्ध महात्मा शिवोपासक आए और यहाँ की भूमि में उन्हें शांति अनुभूति हुई। श्री खर्राघाट महादेव गणेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्धि रखता है। तत्कालीन समय में अघोर साधुओं का तपोस्थली रहा है।
4. सेतगंगा
दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ धर्म संस्कृति, पर्यटन कला, संगीत और इतिहास के संबंध में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व के तीर्थ हैं। जिनमें से एक है सेतगंगा। वस्तुत: इसका प्राचीन नाम है- श्वेतगंगा, जिसका अर्थ है सफ़ेद गंगा। कई शताब्दियों पूर्व यहाँ एक कुंड का प्राकट्य हुआ, जिसका जल गंगा की तरह शीतल, स्वच्छ तथा निर्मल था। इसे तपस्वी, साधुओं ने माँ गंगा के नाम पर श्वेतगंगा कहा।
5. सत्यनारायण मंदिर
वैसे तो छत्तीसगढ़ में हिन्दू धर्म के सभी सभी संप्रदाय के देवी देवताओं के मंदिर हैं, लेकिन मुंगेली में एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप में अनोखा है। जानकारों के मुताबिक पूरे देश में सत्य नारायण भगवान का यह दूसरा मंदिर है। मुंगेली शहर के मलहापारा मे स्थित यह मंदिर दिखने में तो आम मंदिरों जैसा ही है, लेकिन इस मंदिर मे स्थापित मूर्ति कई मायनों में दूसरे मंदिरों से अलग है।
विद्वानों के अनुसार भगवान सत्यनारायण की पुजा अर्चना करने से मनोकामना की पूर्ति होती है। वैसे तो मंदिर के निर्माण का सही समय किसी को नहीं मालूम है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुमान के अनुसार यह 200 साल पुराना मंदिर है। ऐसा कहा जाता है की भगवान सत्यनारायण का मंदिर मुंगेली के अलावा केवल राजस्थान के पुष्कर में है। भगवान सत्यनारायण मंदिर जिला मुख्यालय मुंगेली के हृदय स्थल कहे जाने वाले मलहापारा (राजेंद्र वार्ड) में स्थित है।