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शंघाई सहयोग संगठन के वर्किंग ग्रुप की बैठक काशी में... -
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17 Mar

शंघाई सहयोग संगठन के वर्किंग ग्रुप की बैठक काशी में…

शंघाई सहयोग संगठन के पर्यटन विशेषज्ञ वर्किंग ग्रुप की बैठक काशी में… जानें क्यों प्रसिद्ध है काशी


शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के पर्यटन मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में शंघाई सहयोग संगठन की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है। बैठक के दौरान संगठन के सदस्य देशों के बीच पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्य योजना को स्वीकार किया जाएगा। एससीओ के पर्यटन विशेषज्ञ वर्किंग ग्रुप की दो दिवसीय दूसरी बैठक मंगलवार से शुरू हो गई। ईडब्ल्यूजी की दूसरी बैठक में पर्यटन में सहयोग के विकास पर एससीओ सदस्य राज्यों की सरकारों के बीच समझौते को लागू करने के लिए संयुक्त कार्य योजना पर चर्चा हुई। बताते चलें कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, चार पर्यवेक्षक देश और छह संवाद भागीदार देश शामिल हैं।


काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है। इस स्थान पर गंगा ने प्राय: चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर इस नगरी की स्थिति है।


शंघाई सहयोग संगठन – काशी के प्रमुख मन्दिर


श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
यह भगवान शिव को समर्पित है तथा स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. भगवान् शिव का काशी से विशेष महात्य है. इन्हें काशी के नाथ देवता भी कहा जाता है कि जिस बिंदु पर पहले ज्योतिर्लिंग, जो दिव्या प्रकाश में स्थित शिव का प्रकाश है. काशी में घाट और उत्तरवाहिनी गंगा एवं मंदिर में स्थापित शिवलिंग वाराणसी को धर्म, अध्यात्म, भक्ति एवं ध्यान का महत्वपूर्ण केंद्र की ख्याती प्रदान करता है.


माँ अन्नपूर्णा मन्दिर
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, देवी अन्नपूर्णा का महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसे अन्न की देवी  माना जाता है.


संकठा मन्दिर
सिंधिया घाट के पास, संकट विमुक्ति दायिनी देवी देवी संकटा का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इसके परिसर में शेर की एक विशाल प्रतिमा है। इसके अलावा यहां 9 ग्रहों के नौ मंदिर हैं।


कालभैरव मन्दिर
यह विशेसरगंज में हेड पोस्ट ऑफिस के पास वाराणसी का महत्वपूर्ण एवं प्राचीन मंदिर है। भगवान कलभैरव को वाराणसी के कोतवाल के रूप में माना जाता है, बिना उनकी अनुमति के कोई भी काशी में नहीं रह सकता है। रविवार को इनके दर्शन का विशेष महत्व है.


मृत्युंजय महादेव मन्दिर
कालभैरव मंदिर के निकट दारानगर के मार्ग पर भगवान शिव का यह मंदिर स्थित है। इसके अलावा इस मंदिर के बहुत सारे धार्मिक महत्व हैं, जिसका पानी कई भूमिगत धाराओं का मिश्रण है और कई रोगों को नष्ट करने के लिए उत्तम है।

विश्वनाथ मन्दिर , बी एच यू
महामना मालवीय जी स्थपित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित नया विश्वनाथ मन्दिर जो बिड़ला जी द्वारा निर्मित है। सभी जाति या पंथ के लिए खुला है।

काशी के अन्य मंदिर


तुलसी मानस मन्दिर
वाराणसी में निर्मित यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है यह उस स्थान पर स्थित है जहां महान मध्यकालीन द्रष्टा गोस्वामी तुलसीदास रहते थे और महाकाव्य श्री रामचरितमानस लिखा करते थे, जो रामायण के नायक भगवान राम के जीवन का वर्णन करता है। तुलसीदास जी के महाकाव्य से छंद दीवारों पर अंकित हैं तथा यह दुर्गा मंदिर के निकट है।


संकटमोचन मन्दिर
दुर्गा मंदिर के रास्ते पर असी नदी धारा के निकट भगवान हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। भगवान हनुमान को संकटमोचन के रूप में भी जाना जाता है जो मुसीबतों से मुक्ति दिलाता है। यह मंदिर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित किया गया है। यह मंदिर बंदर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि बहुत सारे बंदर परिसर के अंदर हैं।
दुर्गा मन्दिर


यह प्रसिद्ध मन्दिर 18 वी सदी में बनाया गया था। मंदिर पर पत्थर कारीगरी का बहुत सुन्दर काम है, यह नागौर शिल्प का एक अच्छा उदाहरण है। माँ दुर्गा शक्ति प्रतीक है जो संपूर्ण विश्व को नियंत्रित करती है। यहाँ माँ दुर्गा कुष्मांडा स्वरूप में विद्यमान हैं. दुर्गाकुंड मंदिर के निकट एक प्राचीन कुंड स्थित है।

भारत माता मन्दिर
महात्मा गांधी ने 1936 में इस मंदिर का उद्घाटन किया और संगमरमर से भारत माता का मानचित्र यहाँ पर बनाया गया है। इस अवसर पर राष्ट्रवादियों बाबू शिव प्रसाद गुप्ता (भारत रत्न) और श्री दुर्गा प्रसाद खत्री ने प्रमुख मुद्राशास्त्री और पुरातत्ववेत्ता को उपहार में दिया था.