जगन्नाथ रथ यात्रा: पुरी नगर में उत्सव की विस्तृत जानकारी
जगन्नाथ रथ यात्रा 20 को…अगर आप भी जाना चाहते हैं वल्र्ड फेमस जगन्नाथ रथ यात्रा का नजारा देखने तो ऐसे पहुंच सकते हैं पुरी
भारत के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है।
जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और सुभद्रा देवी की मूर्तियों को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से निकालकर रथ में स्थापित किया जाता है। इसके बाद, रथ मंदिर से श्रद्धालुओं द्वारा ढीली रोप से रथ को पीछे की ओर खींचकर चलाया जाता है। यह रथ जगन्नाथ मंदिर से श्री गुंडीचा मंदिर तक की यात्रा करता है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी होती है।
पुरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर देश के प्राचीन और फेमस मंदिरों में से एक है। यहां हर जाल जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इस साल 2023 में इसका आयोजन 20 जून से किया जाएगा। रथ यात्रा का नजारा शानदार होता है, यही वजह है कि इसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं।
अगर आप भी यहां रथयात्रा देखने आना चाहते हैं तो ऐसे पहुंच सकते हैं पुरी…
हवाईजहाज
भुवनेश्वर में बीजू पटनायक हवाई अड्डा सबसे पासहै, जो पुरी शहर से लगभग 56 किमी दूर है। हवाई अड्डा दिल्ली और मुंबई से जुड़ा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय यात्री दिल्ली या कोलकाता से भुवनेश्वर के लिए फ्लाइट ले सकते हैं।
ट्रेन
पुरी का अपना रेलवे स्टेशन है। भुवनेश्वर, नई दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता समेत भारत के कई शहरों से यहां के लिए रोजाना सीधी ट्रेन सेवाएं मिलती हैं।
सड़क
पुरी अपने पड़ोसी शहरों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में भुवनेश्वर कटक जैसी जगहों से बस के जरिए भी पुरी पहुंच सकते हैं।