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11 Feb

चित्रकोट महोत्सव 14 से…3 दिनों तक चलेगा उत्सव…

चित्रकोट महोत्सव 14 से… 3 दिनों तक चलेगा उत्सव…जानें चित्रकूट वॉटरफॉल की खासियत…

हर साल की तरह इस साल भी चित्रकोट महोत्सव मनाया जा रहा है। एशिया का नियाग्रा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में बस्तर के चित्रकोट वाटरफॉल के तट पर तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस साल यह महोत्सव 14 फरवरी को शुरू होगा जो 16 फरवरी तक चलेगा। इन तीन दिनों में कई तरह के खेलकूद का भी आयोजन किया जाएगा। साथ ही अलग-अलग इलाकों के कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे।

चित्रकोट महोत्सव


चित्रकोट जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जि़ले में इन्द्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है। इस जल प्रपात की ऊँचाई 90 फीट है।इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।

जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है। यह बस्तर संभाग का सबसे प्रमुख जलप्रपात माना जाता है। जगदलपुर से समीप होने के कारण यह एक प्रमुख पिकनिक स्पाट के रूप में भी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। अपने घोडे की नाल समान मुख के कारण इस जाल प्रपात को भारत का निआग्रा भी कहा जाता है। चित्रकूट जलप्रपात बहुत ख़ूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। सधन वृक्षों एवं विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती है।

भारतीय नियाग्रा

‘भारतीय नियाग्रा” के नाम से प्रसिद्ध चित्रकोट प्रपात वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु वर्षा ऋतु में इसे देखना अधिक रोमांचकारी अनुभव होता है। वर्षा में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देती है।वर्षा ऋतु में इन झरनों की ख़ूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है।जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए उचित है।

चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विराजमान हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।रात में इस जगह को पूरा रोशनी के साथ प्रबुद्ध किया गया है। यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकते हैं।अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।