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10 Mar

गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क: छत्तीसगढ़ का नया पर्यटन आकर्षण

मनेंद्रगढ़ वनमंडल में स्थित गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह पार्क विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म मिले हैं।भारत में ऐसे केवल चार अन्य स्थानों पर समुद्री जीवाश्म पाए गए हैं, लेकिन यह पार्क एशिया का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क माना जाता है। हसदेव नदी के किनारे लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस स्थल को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त है। इसकी खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी।

प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्म

यहां से द्विपटली (बायवेल्व), गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोजोआ जैसे समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं, जो शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। 2015 में बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलेंटोलॉजी, लखनऊ ने भी इसकी पुष्टि की थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह क्षेत्र पर्मियन युग में समुद्र के भीतर था। ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा, जिससे यह समुद्री जीव चट्टानों में दब गए और लाखों वर्षों में जीवाश्म में बदल गए। जलस्तर घटने के बाद ये जीवाश्म सतह पर उभर आए।

गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क: छत्तीसगढ़ का नया पर्यटन आकर्षण

गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क – प्रदेश का पहला रॉक गार्डन

वन विभाग इस क्षेत्र को गुजरात और झारखंड के डायनासोर फॉसिल पार्क की तर्ज पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। हसदेव नदी के किनारे प्राकृतिक हार्ड ग्रेनाइट रॉक्स को तराशकर प्राचीन जीवों की कलाकृतियां बनाई जा रही हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। अब तक 30 से अधिक प्राचीन जीवों की मूर्तियां बनाई जा चुकी हैं। इनसे पर्यटक यह समझ सकेंगे कि पृथ्वी पर पहले विशालकाय जीव किस प्रकार रहते थे और उस समय इंसानों का जीवन संभव नहीं था। यह छत्तीसगढ़ का पहला रॉक गार्डन होगा।

हसदेव नदी में बांस राफ्टिंग और अन्य आकर्षण

  • इंटरप्रिटेशन सेंटर: यहां पर्यटक जीवाश्मों को देख सकेंगे और फॉसिल बनने की प्रक्रिया को चित्रों के माध्यम से समझ सकेंगे।
  • धरती के विकास की कहानी: 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी कैसे बनी और इसमें अब तक क्या बदलाव हुए, इसकी जानकारी भी उपलब्ध होगी।
  • कैक्टस गार्डन और बांस वन: वन विभाग कैक्टस गार्डन और बांस वन (बम्बू सेटम) भी विकसित कर रहा है।
  • बांस राफ्टिंग का रोमांच: हसदेव नदी में बांस राफ्टिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जो देश के किसी अन्य फॉसिल पार्क में नहीं है।
  • नेचर ट्रेल: पर्यटक प्रकृति के करीब रहकर नेचर ट्रेल का आनंद भी उठा सकेंगे।

गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क – सरगुजा संभाग का नया पर्यटन केंद्र

अब तक सरगुजा संभाग में ज्यादातर पर्यटक मैनपाट घूमने आते थे, लेकिन वन विभाग की यह पहल गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल कर सकती है। यह पार्क न केवल इतिहास और विज्ञान प्रेमियों के लिए बल्कि रोमांच के शौकीनों के लिए भी एक शानदार जगह साबित होगा।