वर्कला – अरब सागर से सटे अद्वितीय चट्टान के लिए फेमस
वर्कला – अरब सागर से सटे अद्वितीय चट्टान के लिए फेमस है
घूमने के शौकीन हमेशा कुछ ऐसी जगहों की तलाश में रहते हैं, जहां उन्हें कुछ अलग ही मिले। इसलिए वे हर उस जगह पर पहुंचने की कोशिश करते हैं जहां उन्हें बिल्कुल नया अनुभव मिले। ऐसा ही एक जग है वर्कला। यह केरल के दक्षिणी भाग में मौजूद एक खूबसूरत शहर है जो अरब सागर से सटे अद्वितीय 15 मीटर ऊंचे उत्तरी चट्टान के लिए जाना जाता है। वर्कला तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेंद्रम) के 51 किमी पश्चिमोत्तर व कोल्लम से 37 किमी दक्षिण-पश्चिम दूर अरब सागर पर स्थित है। वर्कला दक्षिणी केरल में ऐसी एकमात्र जगह है जहां ऊँची चट्टानें सागर से सटे मिलती हैं।
इन तृतीयक तलछटी चट्टानों का गठन, केरल के अन्यथा सपाट तटीय इलाके में एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक विशेषता है और भूवैज्ञानिकों के बीच यह वर्कला संरचना के रूप में जाना जाता है और एक भूवैज्ञानिक स्मारक जैसा की भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा घोषित किया गया है।
वर्कला – प्रमुख दर्शनीय-स्थल
बीच- बीच धुप सकने और तैराकी के लिए स्वर्ग माना जाता है। शाम के सूर्यास्त का दृश्य देखने लायक होता है। पापस्नानम बीच के निकट कई छोटे रेस्तरां और स्नैक की दुकाने हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कपिल झील- कपिल झील शहर से लगभग 4 किलोमीटर (3.75 मील) उत्तर की ओर स्थित है।
यह शांत नदमुख, अरब सागर में मिलने से पहले घने नारियल के पेड़ों के बीच से होते हुए गुजऱता है। झील के ऊपर के पुल से दूर नीले क्षितिज में सफेद और नीले होते जल को बड़ी खूबसूरती से देखा जा सकता है।
अन्जेंगो किला- अन्जेंगो किला नज़दीक एक किला है। यह ऐतिहासिक महत्व का स्थल है और साथ ही साथ सुंदर प्राकृतिक वातावरण भी है, अन्जेंगो उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो चारों ओर पैदल घूमना पसंद करते हैं। यह किला अब राष्ट्रीय विरासत स्मारक के संरक्षण के अंतर्गत है।
वर्कला सुरंग
वर्कला सुरंग एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। यह एक 924 फीट लंबी सुरंग है जो 1867 में त्रावणकोर के दीवान टी. महादेव राव द्वारा बनाई गई थी और इसके पूर्ण होने में 14 वर्ष लग गए।
पोंमथुरुत द्वीप
पोंमथुरुत द्वीप एक खूबसूरत जगह जहां क्रूज नाव के द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप में एक शिवपार्वती मंदिर है।
वर्कला जाने का बेस्ट समय
वर्कला जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का माना जाता है। इस समय पर ये जगह पर्यटकों से भरी होती हैं। साफ शब्दों में कहें तो ये पीक सीजन होता है। हालांकि जुलाई से सितंबर के महीने में भी यहां खूब लोग पहुंचते हैं।