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22 Nov

करौली – लाल पत्थरों में चमकता शहर

करौली मध्य-प्रदेश के बार्डर पर स्थित है तथा इसके दूसरे सिरे पर आप रणथम्भौर के शेरों की दहाड़ भी सुन सकते हैं। यहाँ की इमारतें लाल पत्थरों से बनी होने के कारण अलग से ही नजर आती है। करौली की प्राकृतिक सम्पदा विशेष तौर पर, यहाँ निकलने वाला लाल पत्थर है, जो कि पूरे भारत में सप्लाई किया जाता है। करौली में आपको विस्मयकारी आकर्षण और अनूठे स्थल देखने को मिलेंगे।

करौली – लाल पत्थरों में चमकता शहर में स्थित मंदिर


कैला देवी मन्दिर
करौली के बाहरी इलाके में लगभग 25 किमी दूरी पर कैला देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है जो कि त्रिकुट की पहाडिय़ों के बीच कालीसिल नदी के किनारे पर बना हुआ है। यह मन्दिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है तथा इसकी स्थापना 1100 ईस्वी में की गई थी, ऐसी मान्यता है।


मदन मोहन जी मंदिर
मदन मोहन जी अर्थात् भगवान कृष्ण जी का मंदिर बड़ा भाग्यशाली माना जाता है। योद्धा लोग युद्ध पर जाने से पहले यहाँ आशीर्वाद लेने आया करते थे। यह मध्ययुगीन मंदिर कृष्ण जी और उनकी संगिनी राधा जी के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापत्य कला में करौली के लाल पत्थर की सुंदर नक़्काशीदार कला नजऱ आती है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
करौली के एक गांव मेहंदीपुर में यह बालाजी, यानि हनुमान जी के मंदिर की काफी दूर दूर तक मान्यता है। मान्यता के अुनसार पागल और बीमार लोग यहाँ लाए जाते हैं और बालाजी के आशीर्वाद से अधिकतर ठीक होकर जाते हैं। करौली में लगभग 300 मंदिर हैं और इसी कारण इसे राज्य के पवित्रतम स्थानों में से एक माना जाता है।

करौली



श्री महावीर जी मंदिर
उन्नीसवीं सदी में बना, बेजोड़ वास्तुशिल्प की संरचना है, श्री महावीर जी का मंदिर, जो कि एक जैन तीर्थस्थल है। इस मंदिर की इमारत में जैन कला से प्रेरित संरचना तथा आलेखन है। प्रत्येक वर्ष यहाँ चैत्र शुक्ल पक्ष के 13वें दिन से कृष्ण पक्ष के वैशाख के पहले दिन तक (मार्च-अप्रैल), एक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों जैन श्रद्धालु आते हैं।

गोमती धाम
घने जंगल के बीच, संत गोमती दास जी का आश्रम, सागर तालाब और तिमनगढ़ कि़ले के सामने है। यहाँ अत्यन्त शांति मिलती है तथा मानसिक तनाव दूर हो जाता है।भँवर विलास महल सन् 1938 में महाराजा गणेश पाल देव बहादुर द्वारा, शाही निवास के रूप में भँवर विलास पैलेस/महल बनाया गया था। अब इस महल का एक भाग, हैरिटेज होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, जहाँ पर्यटक शाही ठाठ-बाठ का अनुभव कर सकते हैं। इसका भीतरी भाग सुंदर प्राचीन फर्नीचर से सुसज्जित है।

कैला देवी अभ्यारण्य
करौली में मंदिर, महल और कि़ले के अलावा एक अभ्यारण्य भी है। कैला देवी मंदिर के पास घने जंगलों में बाघ, लोमड़ी, चिंकारा, नीलगाय, तेंदुआ, सियार आदि को इस अभ्यारण्य में चिंतारहित विचरण करते हुए देखा जा सकता है। यह अभ्यारण्य आगे जाकर रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में मिल जाता है। हरीतिमा से आच्छादित यह स्थल प्रवासी पक्षियों जैसे किंगफिशर, सैन्ड पाइपर, क्रेन्स आदि का घर है।