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जंगली भेडिय़ों की कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हुई वापसी… - Travel News
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Kanger Valley National Park
16 May

जंगली भेडिय़ों की कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हुई वापसी…

छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में लगातार चल रहे वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा जगह-जगह पर पेट्रोलिंग कैंप और वन्य प्राणियों के सुरक्षा हेतु स्थानीय आदिवासी युवाओं को पैट्रोलिंग गार्ड के रूप में नियुक्त कर लगातार मॉनिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने से वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हाल ही में जंगली भेडिय़ों की ट्रैप कैमेरा में तस्वीर और वीडियो सामने आया है, जिसमे 3 के झुंड में भेडिय़ा विचरण करते देखे जा रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान द्वारा निगरानी के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरा के माध्यम से तीन जंगली भेडिय़ों की तस्वीर सामने आई है, जो लगातार कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अलग अलग जगहों पर देखे जा रहे हैं।

जंगली भेडिय़ों की कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हुई वापसी…


भारतीय भेडिय़ा प्रजाती संकटग्रस्त स्थिति में है एवं बाघ के जैसे यह प्रजाति वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम में अनुसूची में रखी गई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक सर्वे के अनुमान से भारत में इनकी संख्या लगभग 3100 के करीब है, जो मुख्य रूप से भारत में भारतीय भेडिय़ा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरला और आंध्रप्रदेश राज्यों में टॉप प्रिडिएटर वर्ग में पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इनके लिए प्री बेस बढऩे और रहवास सुरक्षित होने के कारण जंगली भेडिय़ा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में संकटग्रस्त जंगली भेडिय़ों की हुई वापसी…


डायरेक्टर श्री धम्मशील गणवीर ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान में 18 पेट्रोलिंग कैंप स्थापित हैं, जहां स्थानीय युवा पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस कार्य से वन्य प्राणियों का रहवास भी सुरक्षित हुआ है एवं  ग्रामीणों की वन्यजीव सरंक्षण में सहभागिता के परिणाम स्वरूप यहां संकटपन्न प्रजातियों की रिकवरी देखी जा रही है। साथ ही स्थानीय आदिवासी समुदाय के युवाओं को वन्य जीव संरक्षण में सहभागी बनाने से उन्हें रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। साथ ही  वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से निकला है, जो इसकी लंबाई में बहती है। कांगेर घाटी लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कांगेर घाटी ने 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति प्राप्त की। ऊँचे पहाड़ , गहरी घाटियाँ, विशाल पेड़ और मौसमी जंगली फूलों एवं वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए यह अनुकूल जगह है । कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है जिसमे साल ,सागौन , टीक और बांस के पेड़ बहुताइत में है। यहाँ की सबसे लोकप्रिय प्रजातियां जो अपनी मानव आवाज के साथ सभी को मंत्रमुग्ध करती हैं वह बस्तर मैना है। राज्य पक्षी, बस्तर मैना, एक प्रकार का हिल माइन (ग्रुकुला धर्मियोसा) है, जो मानव आवाज का अनुकरण करने में सक्षम है। जंगल दोनों प्रवासी और निवासी पक्षियों का घर है।